• September 12, 2024

आरटीओ कार्यालय बना दलालों का अड्डा!, बेखौफ होकर मांगते हैं सुविधा शुल्क। 

 आरटीओ कार्यालय बना दलालों का अड्डा!, बेखौफ होकर मांगते हैं सुविधा शुल्क। 

नोएडा

आरटीओ कार्यालय बना दलालों का अड्डा!, बेखौफ होकर मांगते हैं सुविधा शुल्क। 

रिपोर्ट :- योगेश राणा

नोएडा: अगर आपको आरटीओ संबंधी कोई भी और कैसा भी काम करवाना है तो परेशान होने की जरूरत नही है। बस आरटीओ कार्यालय गेट पर पहुंचिये और वहां खड़े दलालों से मिलकर थोड़ा सा सुविधा शुल्क देकर अपना काम आसानी से फटाफट करा लिजिए अन्यथा इसी काम के लिए आपको आरटीओ चक्कर लगाने पड़ सकतें हैं।नोएडा के सेक्टर 32 में स्थित आरटीओ कार्यालय की कहानी इन दिनों सुर्खियों में है। कार्यालय के गेट पर पहुंचते ही गेट के बाहर खड़े दलाल आपको घेर लेंगे,अगर किसी तरह से वह आपको नही पकड़ सके तो कार्यालय के अंदर बैठे दलाल आपको फंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ोगे मजबूरन परेशान होकर उपभोक्ता को दलालों के चुंगल में फंसकर सुविधा शुल्क देने के लिए मजबूर हो जाते हैं और अगर अपने सुविधा शुल्क नहीं दिया तो आपको आरटीओ कार्यालय के चक्कर तो काटने ही पड़ेंगे साथ ही साथ अपका समय व्यर्थ जायेगा वह आपके लिए विभाग की तरफ से उपहार होगा। प्रत्येक दिन आरटीओ कार्यालय के बाहर से लेकर अंदर तक दलालों का जमावड़ा लगा रहता था है,आश्चर्य की बात तो तब नजर आई, जब वहां पर कुछ दलाल ऐसे बैठे थे, जैसे स्वयं आरटीओ कार्यालय में कोई अधिकारी या कर्मचारी हो। ऐसे में जिलेभर से अपने कार्य करवाने के लिए आने वाले उपभोक्ताओं यह ही नहीं पहचान पाते हैं कि कौन विभाग का कर्मचारी है और कौन दलाल। कुछ दलालों तो आरटीओ कार्यालय को ही अपना घर समझते हैं। गौर करने की बात यह है कि भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए शासन द्वारा आरटीओ संबंधी अधिकतर कार्य ऑनलाइन कर दिए गए हैं जिससे लोगों को कोई परेशानी ना हों और कोई भी व्यक्ति दलाल के चंगुल में ना फस सके। लेकिन जब बृहस्पतिवार को न्यूज नेस्ट की टीम के द्वारा पड़ताल की गई तो हालात कुछ और दिखा वैसे तो फार्म ऑनलाइन भरने से लेकर फीस जमा कराने तक के सभी कार्य ऑनलाइन हो रहे हैं। लेकिन उसके बावजूद भी लोगों का काम बिना दलालों के नहीं हो रहा है और अगर बिना दलाल के अगर कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति ऑनलाइन फार्म भरकर विभाग में अपना कार्य करवाने जाता भी है तो उसे विभिन्न प्रकार की कमियां बताकर वापस कर देते हैं तथा किसी तरह से फार्म भरकर टेस्ट तक पहुंचा भी तो उसे टेस्ट में रोक देते हैं। ऐसे में परेशान होकर व्यक्ति को दलाल को तलाश करना ही पड़ता है। इस कारण से लोग दलालों को सुविधा शुल्क देते हैं। कार्यालय में जैसे ही कोई व्यक्ति लाइसेंस या अन्य ट्रांसफर का कार्य लेकर आता है उसे पहले से ही मौजूद दलाल गेट पर ही पकड़ लेते है। इसी बीच हमारी मुलाकात आरटीओ कार्यालय में आए एक व्यक्ति से हुई और नाम न बताने की शर्त पर उसने बताया कि मुझे दो पहिया वाहन का एक ड्रायविंग लाइसेंस बनवाना था। मैं पहले यहां आया तो मुझे कई प्रकार के दस्तावेज और टेस्ट देने की बात कही। मैं आवेदन भी ऑनलाइन कराने के लिए गया। लेकिन कई दस्तावेजों की मांग आई कारण मुझे मजबूरन दलाल से ही बात करनी पड़ी, क्योंकि बार बार आने से काम धंधे का नुकसान होता है फिर मैंने एक दलाल से बात की उसने 5000 हजार रुपए में ड्राइविंग लाइसेंस घर तक पहुंचाने की बात कही। हालांकि फीस इतनी नहीं लगती है। लेकिन क्या करें। कहने के लिए आरटीओ संबंधी कार्य ऑनलाइन हुए हैं,लेकिन बिना दलाल के कोई भी कार्य संभव नहीं है।

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published.