उम्रकैद की सजा काट रहे 1958 कैदी जेल में बिता चुके 14 साल, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा पाए 15,771 कैदी बंद हैं। इनमें से 1,958 कैदी ऐसे हैं जो 14 वर्ष से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं। यूपी सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) गरिमा प्रसाद ने समय पूर्व रिहाई से जुड़े अवमानना मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। इस के बाद शीर्ष अदालत ने अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला के समक्ष सोमवार को प्रसाद ने बताया, हर वर्ष करीब एक हजार कैदी समय पूर्व रिहाई के पात्र हो जाते हैं और हर वर्ष करीब 700 आदेश पारित किए जाते हैं। पिछले साल सितंबर से अब तक करीब 595 रिहाई आदेश जारी किए जा चुके हैं। जबकि 227 आवेदनों को खारिज किया गया है।
मौजूदा अवमानना याचिकाओं के जवाब में प्रसाद ने बताया कि याचिकाकर्ता के समय पूर्व रिहाई के आवेदनों का निपटारा कर दिया गया है। कुछ को रिहा करने का आदेश भी जारी कर दिया गया है, जबकि कुछ के आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। कुछ आवेदकों के लिए सोमवार को ही रिहाई के आदेश जारी किए गए और बाकी बचे याचिकाकर्ताओं के आवेदनों पर इसी हफ्ते निर्णय ले लिया जाएगा। पीठ ने एएजी के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए समय पूर्व रिहाई के मामले में उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही को खत्म कर दिया। हालांकि शीर्ष अदालत ने अथॉरिटी के रवैये पर आपत्ति जताते हुए पूछा कि अवमानना याचिकाएं दायर होने के बाद ही कार्रवाई क्यों की जाती है?