क्या भारत को मिलेगी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता? UN चीफ ने की बदलाव की वकालत, बोले- यह सही समय
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है जब सुरक्षा परिषद में सुधार किया जाना चाहिए। रविवार को जापान के हिरोशिमा में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद साल 1945 के हिसाब से शक्तियों के वितरण को दर्शाती है। वर्तमान समय की वास्तविकताओं के अनुसार अब शक्तियों के पुनर्वितरण की जरूरत बढ़ गई है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने हिरोशिमा में जी-7 देशों की बैठक के दौरान पत्रकारों से कहा कि ब्रेटन वुड्स प्रणाली और सुरक्षा परिषद 1945 के शक्ति संबंधों को दर्शाती है। तब से कई चीजें बदल गई हैं। वैश्विक वित्तीय ढांचा पुराना, बेकार और अनुचित हो गया है। यह सुरक्षा परिषद में सुधार करने का समय है। यह अनिवार्य रूप से आज की दुनिया की वास्तविकताओं के अनुरूप सत्ता के पुनर्वितरण का प्रश्न है।
भारत करता रहा है मांग
हिरोशिमा में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की नवीनतम टिप्पणी से 15 देशों वाली सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता को बल मिला है।
भारत ने लगातार पेश की है दावेदारी
गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने के लिए हाल के सालों में भारत सबसे प्रबल दावेदार बनकर सामने आया है। हाल ही में 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने यूएनएससी में बोलते हुए इसे दोहराया था। उन्होंने कहा था कि जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को वैश्विक निर्णय लेने से बाहर रखा जाता है, तो संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय में प्रमुख सुधार की मांग करना भारत का अधिकार है। रुचिरा कंबोज ने पूछा कि क्या ‘प्रभावी बहुपक्षवाद’ को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की रक्षा का बचाव करके अमल में लाया जा सकता है, जो पांच देशों को दूसरों की तुलना में अधिक शक्तिशाली बनाता है और उन पांचों में से प्रत्येक को शेष 188 सदस्य देशों की सामूहिक इच्छा को अनदेखा करने की शक्ति प्रदान करता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र (UN) के छह प्रमुख अंगों में से एक है। इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी। इस पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने, महासभा में संयुक्त राष्ट्र के नए सदस्यों के प्रवेश की सिफारिश करने और संयुक्त राष्ट्र में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है।
सुरक्षा परिषद की संरचना की बात करें तो इसमें पांच स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस। यह सामूहिक रूप से P5 के रूप में जाने जाते हैं। इनमें से कोई भी प्रस्ताव को वीटो कर सकता है। परिषद के दस निर्वाचित सदस्य भी होते हैं जिनका कार्यकाल सिर्फ दो साल का होता है। निर्वाचित सदस्यों को वीटो शक्ति नहीं दी जाती है।
UNSC में सीट पाने के लिए भारत क्यों बड़ा दावेदार है?
UNSC का स्थायी सदस्य बनने के इच्छुक सभी उम्मीदवारों में भारत सबसे अधिक मुखर है। भारत आज एक प्रमुख वैश्विक शक्ति केंद्र बन चुका है। भारत की सदस्यता का दावा इन तथ्यों पर आधारित है कि यह संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है, सबसे बड़ा लोकतंत्र है, दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, और पांचवीं सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
साथ ही, भारत जलवायु परिवर्तन, सतत विकास लक्ष्यों और अन्य संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलनों से संबंधित सभी अहम मंचों में सक्रिय रूप से खुद को शामिल करता रहा है। भारत दुनिया के अधिकांश अविकसित और विकासशील देशों के हितों का भी प्रतिनिधित्व करता है। भारत एक देश है जो दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की विचारधारा रखता है।
UNSC में सुधार में भारत के समर्थन और विरोध में कौन-कौन है?
भारत के लिए समस्या यह है कि वह तब तक स्थायी निकाय का हिस्सा नहीं बन सकता जब तक कि इसके सुधारों के लिए पांच स्थायी सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं बन जाती। इन सदस्यों के पास वीटो शक्ति है जो UNSC में अन्य देशों के प्रवेश को रोकने की शक्ति प्रदान करती है।
UNSC के पांच स्थायी सदस्यों में से चीन को छोड़कर चार अन्य देशों, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने UNSC में स्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी के लिए द्विपक्षीय रूप से अपना समर्थन दिया है। हालांकि, चीन ने भारत की दावेदारी में हमेशा बाधा डाली है। चीन के करीबी सहयोगी पाकिस्तान, तुर्किये, उत्तर कोरिया और इटली जैसे देश भी UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का विरोध करते रहे हैं।