• September 12, 2024

नोटबंदी के बाद छोटे नोट घटे, बढ़ गए सिक्के; सौ के नोट की छपाई में भारी कमी, पचासा बढ़ा

 नोटबंदी के बाद छोटे नोट घटे, बढ़ गए सिक्के; सौ के नोट की छपाई में भारी कमी, पचासा बढ़ा

दो हजार रुपये के नोट इस साल अक्तूबर में चलन से बाहर हो जाएंगे। पांच सौ रुपये का नोट ही करेंसी का ”बादशाह” होगा। दरअसल छोटी करेंसी की नींव वर्ष 2016 में ”नोटबंदी सीजन-1” में ही पड़ गई थी। हकीकत यह है कि पिछले छह साल में छोटे नोट की जगह सिक्कों ने ले ली है।

आरबीआई के मुताबिक एक तरफ सिक्के धड़ाधड़ टकसाल से निकल रहे हैं तो दूसरी तरफ 5, 10 और 100 रुपये के नोटों की छपाई लगातार घट रही है। रिजर्व बैंक का सर्वाधिक फोकस दस रुपये के सिक्कों पर है। सात साल पहले बाजार में 3,700 करोड़ रुपये के दस के सिक्के थे, वहीं वर्ष 2022 में 5,400 करोड़ रुपये के सिक्के निकले।

यहां तक कि 600 करोड़ के एक रुपये के सिक्के भी टकसाल से ज्यादा निकले। वास्तविक स्थिति ये है कि बैंक शाखाओं में सिक्कों की बोरियों के ढेर लगे हैं। ग्राहक लेने से कतराते हैं। फुटकर व्यापारी पांच से दस फीसदी डिस्काउंट पर सिक्के निकालने को मजबूर हैं। साफ है कि बाजार में छोटी करेंसी का राज होगा।

सौ के नोट की छपाई में भारी कमी, पचासा बढ़ा
आरबीआई की हैंडबुक ऑफ स्टेटिस्टिक्स रिपोर्ट के मुताबिक सौ रुपये के नोट भी लगातार कम हो रहे हैं। इसकी जगह 50 के नोट ले रहे हैं। वर्ष 2016 के बाद से अभी तक करीब 70 हजार करोड़ रुपये के सौ के नोट बाजार में कम हो गए। वहीं 8 हजार करोड़ रुपये के पचास के नोट लोगों के हाथ में ज्यादा आ गए हैं। दस के सिक्के ज्यादा होने के कारण दस के नोट तेजी से कम हुए हैं।

इतने छोटे नोट आपके हाथ में

नोटबंदी के पहले सीजन यानी वर्ष 2016 में बाजार में पांच के नोट 3,600 करोड़ रुपये के थे, जो घटकर 3,400 करोड़ रुपये के रह गए। दस के नोट 36 हजार करोड़ रुपये से घटकर 27 हजार करोड़ रुपये रह गए।

बीस के नोटों की संख्या 20 हजार करोड़ से बढ़कर 22 हजार करोड़ हो गई। पचास के नोट भी 35 हजार करोड़ से बढ़कर 43 हजार करोड़ रुपये के हो गए। वहीं, सौ के नोट 2.5 लाख करोड़ से घटकर 1.81 लाख करोड़ रुपये रह गए।

घट गए करेंसी चेस्ट और सिक्कों के डिपो
आरबीआई के खजाने से निकलकर नोट बैंक पहले करेंसी चेस्ट पहुंचते हैं। वहां से बैंक शाखाओं में आते हैं, फिर ग्राहक के हाथ तक पहुंचते हैं। नोटबंदी के बाद से अबतक करेंसी चेस्ट की संख्या में घट गई है। वर्ष 2016 में 4,033 करेंसी चेस्ट थे। अब यह संख्या घटकर 2878 रह गई है।

सिक्कों की संख्या भले बढ़ गई लेकिन उनके डिपो (जहां आरबीआई से बाहर निकलकर रखे जाते हैं) की संख्या छह साल में 3,727 से घटकर 2,296 रह गई है। करेंसी चेस्ट पर आने वाला खर्च वे बैंक देते हैं, जिनके पास चेस्ट नहीं है। छोटे करेंसी से रकम लेने पर बैंक शाखाओं को 100 रुपये वाली एक गड्डी पर पांच रुपये फीस अदा करनी होती है। वहीं, बड़े अत्याधुनिक करेंसी चेस्ट के लिए प्रति गड्डी फीस 8 रुपये है।

नोटबंदी-1 से नोटबंदी-2 के बीच बढ़ते गए सिक्के

वर्ष सिक्का एक सिक्का दो सिक्का पांच सिक्का दस सिक्का बीस
2015-2016 4,178 5,926 7,045 3,703
2016-2017 4,514 6,411 7,891 5,204
2017-2018 4,963 6,571 8,324 5,049
2018-2019 4,673 6,631 8,576 4,905
2019-2020 4,719 6,703 8,800 5,013
2020-2021 4,749 6,757 8,968 5,139 179
2021-2022 4,777 6,816 9,217 5,404 674

(नोट: रुपये करोड़ में)

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