प्रदेश में मनमानी से चल रहे हैं तमाम प्राइवेट प्ले स्कूल, नियमों के दायरे में लाने पर शासन की चुप्पी
- उत्तर प्रदेश
- admin
- May 17, 2023
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प्राइवेट प्ले स्कूलों की स्थापना, संचालन व उनकी मनमानी रोकने के लिए केंद्र सरकार के स्तर से बनाए गए दिशानिर्देशों पर शासन के अधिकारी कुंडली मार कर बैठ गए हैं। तीन वर्ष से लगातार लिखापढ़ी के बावजूद प्रदेश सरकार ने न तो अपने स्तर से इसके लिए कोई कानून बनाया और न ही केंद्र के स्तर से बनाए गए नियामकीय दिशानिर्देशों पर ही अमल किया। हालात ये हैं कि शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक प्राइवेट प्ले स्कूलों की बाढ़ आई हुई है। लेकिन, उनकी जवाबदेही को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। कहा जा रहा है कि प्राइवेट प्ले स्कूलों के संचालन से जुड़े प्रभावशाली लोगों के प्रभाव में अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।
प्रदेश में 0-6 वर्ष के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से स्कूल पूर्व शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य के बाल विकास एवं पुष्टहार विभाग को सौंपी गई है। लेकिन, निजी स्कूलों में जाने वाले बच्चों के लिए तय मानकों का अनुपालन कराने के लिए कोई नियामकीय तंत्र नहीं है। जानकार बताते हैं कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने वर्ष 2017 में 0-6 वर्ष के बच्चों के संरक्षण की पहल करते हुए प्राइवेट प्ले स्कूलों की मान्यता के लिए नियामकीय दिशानिर्देश ((रेगुलेटरी कंप्लायंस) जारी किए थे। इसमें प्ले स्कूलों की स्थापना, मान्यता की प्रक्रिया, प्ले स्कूल के मानक, स्टाफ की संख्या व योग्यता, भवन, कार्यअवधि, शिक्षण सामग्री, लाइब्रेरी, खेलकूद, स्वास्थ्य व सुरक्षा जैसे विषय शामिल थे।
केंद्र सरकार ने इन दिशानिर्देशों पर अमल के लिए भी बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को ही नोडल विभाग नामित किया। आयोग ने राज्य सरकारों से कहा था वे चाहें तो राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के दिशानिर्देशों को ही अधिसूचित कर प्ले स्कूलों को नियमों के दायरे में ले आएं। अथवा, इन दिशानिर्देशों के प्रावधानों को शामिल कर राज्य स्तर पर कानून बनाकर कार्यवाही करें। मगर, इन दिशानिर्देशों पर क्या हुआ, इस पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। अकेले राजधानी लखनऊ में करीब 2000 प्ले स्कूल होने का अनुमान है। प्रमुख सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार डा. वीना कुमारी मीना से इस संबंध में बात के लिए कई बार संपर्क किया गया, मगर उन्होंने न तो फोन रेस्पांड किया और न ही मैसेज का जवाब दिया।
बाल संरक्षण आयोग बार-बार मांग रहा जवाब, अफसर चुप
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के दिशानिर्देशों पर अमल के लिए राज्य बाल संरक्षण आयोग वर्ष 2020 से लगातार कोशिश कर रहा है। आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य की ओर से इन दिशानिर्देशों पर अमल के लिए शासन के बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। मार्च 2020 और जुलाई 2020 में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डा. विशेष गुप्ता ने प्रमुख सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को पत्र लिखा। मई 2022 और मई 2023 में आयोग की वरिष्ठ सदस्य डा. शुचिता चतुर्वेदी ने पत्र लिखा। मगर, शासन के अधिकारी न तो इन पत्रों का जवाब दे रहे हैं और न ही इस संबंध में कोई कार्यवाही ही कर रहे हैं।
आयोग की चिंता
- आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 0-6 वर्ष के बच्चों की स्कूल पूर्व शिक्षा व उनके सर्वांगीण विकास का उत्तरदायित्व बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग का है। लेकिन, निजी स्कूलों में जाने वाले बच्चों के लिए तय मानकों के अनुपालन के लिए कोई तंत्र कार्यरत नहीं है।
- रेगुलेटरी गाइडलाइन के खंड-1 के प्रस्तर 2(डी) के अनुसार प्री-प्राइमरी व नर्सरी के स्कूलों के रजिस्ट्रेशन की मान्यता जारी रखने या न रखने का दायित्व जिला स्तर पर आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम अधिकारियों का है। मगर, राज्य में इस पर अमल नहीं हो रहा है।
- गाइडलाइन का पालन न होने से बड़े निजी संस्थाओं में कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घट चुकी हैं।
- प्राइवेट प्ले स्कूल को नियमों के दायरे में न लाए जाने से मान्यता के तय मानकों पर उनका परीक्षण व स्थलीय सत्यापन संभव नहीं है। नियामकीय निर्देशों पर अमल व कार्रवाई न होने से बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य व शैक्षिक वातावरण पर असर पड़ता है।
- नियामकीय निर्देशों पर कार्रवाई की तिमाही प्रगति रिपोर्ट आयोग को उपलब्ध कराई जानी चाहिए, मगर पत्रों का जवाब तक नहीं दिया जाता।
आयोग ने 15 दिन में मांगी रिपोर्ट
आयोग की वरिष्ठ सदस्य डा. शुचिता चतुर्वेदी ने गत एक मई को नया पत्र लिखा। उनके मुताबिक पिछले पत्र में रेगुलेटरी गाइडलाइन का अनुपालन कर एक सप्ताह में रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया था। मगर, एक वर्ष बीतने के बाद भी आयोग को रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई। उन्होंने प्रदेश के समस्त जिलों में स्थित समस्त प्ले स्कूलों से संबंधित सूचना रेगुलेटरी गाइडलाइन में दिए गए प्रारूप पर इकट्ठा कराने तथा समस्त प्ले स्कूलों का नियमानुसार रजिस्ट्रेशन कराते हुए 15 दिन में रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। यह 15 दिन भी मंगलवार को समाप्त हो रहा है। फिलहाल बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग से आयोग को कोई जवाब नहीं मिला है।
प्ले स्कूलों की मनमानी
- नियमों के दायरे में न होने से फीस का कोई तय ढांचा तय नहीं है। इससे मनमानी फीस ली जाती है।
- प्ले स्कूलों की निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं है, इससे इनके खिलाफ शिकायत का कोई फोरम नहीं है।
- तमाम प्ले स्कूल दो-चार कमरे में शुरू कर दिए जाते हैं। वहां खेलने-कूदने व स्वास्थ्य को लेकर उचित वातावरण का अभाव
- प्ले स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षक व देखभालकर्ता उपलब्ध हैं या नहीं, यह सुनिश्चित नहीं हो पाता।
शिक्षा विभाग प्रावइेट प्ले स्कूलों को रेगुलेट करने संबंधी कार्य नहीं कर रहा है। इस संबंध में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ही बता पाएगा।
-विजय किरन आनंद, महानिदेशक स्कूल शिक्षा
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में प्राइवेट प्ले स्कूलों को रेगुलेट करने के लिए कोई पॉलिसी नहीं है। विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन कर रहा है। इस बारे में शिक्षा विभाग से बात करनी चाहिए।
– अनामिका सिंह, सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार
केंद्र के निर्देश का कराएंगे पालन
हम आंगनबाड़ी के प्री-स्कूल का विधिवत संचालन और मानीटरिंग करा रहे हैं। प्राइवेट प्ले स्कूल से संबंधित विषय शिक्षा विभाग को देखना चाहिए। यदि केंद्र सरकार ने बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को इसके लिए नोडल बनाया है तो इससे संबंधित दिशानिर्देश पता कर क्रियान्वयन सुनिश्चित कराऊंगी।
– बेबीरानी मौर्य, महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री