• September 12, 2024

फर्जी कंपनी बनाकर हजारों करोड़ों का सरकार को लगा रहे थे चुना!

 फर्जी कंपनी बनाकर हजारों करोड़ों का सरकार को लगा रहे थे चुना!

नोएडा

*फर्जी कंपनी बनाकर हजारों करोड़ों का सरकार को लगा रहे थे चुना!*

रिपोर्ट :- योगेश राणा

*”सरकार की व्यापार प्रोत्साहन नीति को बनाया ठगी का रास्ता”*

 

 

नोएडा: नोएडा के थाना 20 को मिली बड़ी सफलता। फर्जी कंपनी तैयार करके बिना व्यापार किए सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगा रहे गैंग का नोएडा पुलिस ने किया खुलासा। पुलिस ने गैंग के सरगना एवं उसकी पत्नी सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस को मौके से इन के पास से 2600 फर्जी कंपनियों का डाटा और 12 लाख 66 हजार रूपये नगद , 32 मोबाइल फोन , 24 क्म्प्यूटर सिस्टम , 04 लैप टॉप ,03 हार्ड डिस्क ,118 फर्जी आधार कार्ड,140 पैन कार्ड और इनके स्वयं द्वारा संचालित 08 फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित 03 लग्जरी गाड़ियां बरामद की है और यह खेल लंबे समय से चल रहा था और इस गैंग द्वारा ही सरकार से आंख मिचौली का खेल खेल रहे थे। अब तक सरकार को हजारों करोड़ों का चूना लगा चुके हैं। पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने बताया कि फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित बनाकर बिना माल की डिलिवरी किए बिल तैयार कर जीएसटी रिफन्ड लेकर सरकार को हजारों करोड का नुकसान पहुंचा रहे थे और यह एक संगठित गिरोह है। इनके द्वारा पिछले पांच वर्षों से फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित तैयार कराकर फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफन्ड कर (ITC इंपुट टैक्स क्रेडिट) प्राप्त कर सरकार को हजारों करोड के राजस्व का नुकसान पहुंचाने का अपराध किया जा रहा है । यह गिरोह फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित बनाकर अनुचित लाभ प्राप्त करने का अपराध दो टीम बनाकर कर रहे थे।पहली टीम द्वारा सर्वप्रथम फर्जी फर्म तैयार करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर कम्पनी जस्ट डायल के माध्य से अवैध रूप से डैटा(पैन नम्बर) क्रय किए जाते हैं। जिसके पश्चात कालोनियों एवं मोहल्लों को अशिक्षित एवं नशा करने वाले व्यक्तियों को 1000-1500 रूपयों का लालच देकर एवं भ्रमित कर उनके आधार कार्ड में पूर्व से एकत्रित किए गए फर्जी मोबाइल सिम नम्बर को रजिस्टर्ड करा लेते हैं। इसके पश्चात इस टीम द्वारा ऑन लाइन रेन्ट एग्रीमेन्ट एवं इलेक्ट्रीसिटी बिल को फर्जी तरीके से डाउनलोड कर लेते हैं। प्राप्त आधार कार्ड पर अंकित नाम के व्यक्तियों को क्रय किए गए पैन कार्ड डैटा में सर्च किया जाता है, जैसे आधार कार्ड में रोहित नाम के डेटा में 80 नाम कॉमन पाए जाते हैं तो ऐसे सभी 80 नामों के पैन कार्ड पर रोहित नाम के आधार कार्ड व अन्य तैयार फर्जी दस्तावेजों को सम्मलित करते हुए फर्जी फर्म को रजिस्टर करने के लिए और उसका जीएसटी नम्बर रजिस्टर कराने के लिए reg.gst.gov.in में लॉगिन करते है। और जीएसटी पोर्टल में फर्म रजिस्टर करने के लिए लॉगिन करने के दौरान जीएसटी विभाग द्वारा एक वैरिफिकेशन कोर्ड भेजा जाता है, जो कोर्ड आधार कार्ड में स्वंय अपराधियों द्वारा पुनः कराये गए रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पर पहुंचता है जिसको अपराधियों द्वारा पोर्टल पर डालकर वैरिफाइ कर, 01 फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित रजिस्टर करा ली जाती है। रजिस्टर्ड करायी गई फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित को ऑन डिमान्ड 80 से 90 हजार रूपये प्रति फर्म के हिसाब से दूसरी टीम को विक्रय कर दी जाती है। उपलब्ध डाटा के अनुसार प्रथम टीम द्वारा अब तक करीब 2660 फर्जी जीएसटी फर्म तैयार की जा चुकी है। अरब शुरू होता है दूसरी टीम का काम द्वितीय टीम द्वारा क्रय की गई फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित का उपयोग बिना माल का आदान प्रदान किए तैयार किए गए फर्जी बिलों का फर्म में उपयोग कर भारत सरकार से जीएसटी रिफन्ड करा लेते हैं। एक फर्जी फर्म जीएसटी नम्बर सहित में एक माह में करीब दो से तीन करोड के फर्जी बिलों का उपयोग किया जाता है। जिनमें कुल धन राशि का निर्धारित जीएसटी प्रतिशत का रिफन्ड आ जाता है। इस में एक बड़ी सामने आई है कि फर्जी रजिस्टर की गई एक फर्म के माध्यम से एक माह में करीब दो-तीन करोड की अनुमानित धन राशी के फर्जी बिलों का उपयोग कर आर्थिक लाभ लेने का काम किया जा रहा था और दोनों टीम आपस में कभी फेस-2-फेस मुलाकात भी नहीं करते थे और अधिकांश यह वॉट्सएप कॉलिंग एवं मेल का प्रयोग करते थे और दूसरी टीम के 7 लोग फरार है। वही इस गैंग का खुलासा करने वाली नोएडा जॉन की टीम डीसीपी हरिश्चंद्र, एडीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी, एसीपी प्रथम रजनीश वर्मा सहित टीम को ₹25000 रूपए देने की घोषणा की है।

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