भारतीय सेना ने थामी ‘दृष्टिहीनों की बाहें’, अब आसान होंगी राहें
भारतीय सेना ‘ऑपरेशन सद्भावना’ के तहत बहुत से परोपकारी कार्य कर रही है। भारतीय सेना की गजराज कोर दूर-दराज के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से असम के अविकसित क्षेत्रों में विविध परियोजनाएं चला रही है। इसी परियोजना के तहत असम के कार्बी आंगलोंग जिले के एक सुदूरवर्ती गांव में दृष्टिहीनों की बाहें थामी है। सेना ने इनके लिए बनाए जा रहे स्कूल में मदद का हाथ बढ़ाया है। इससे बच्चे और उनके अभिभावक बहुत खुश हैं। वे कहते हैं, जब सेना का मिल गया है साथ तो अब बच्चों की राहें भी आसान हो जाएंगी।
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र ने बताया कि असम के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले दृष्टिबाधित बच्चों को सशक्त बनाने के लिए, भारतीय सेना के गजराज कोर ने चरणबद्ध तरीके से पूर्वी कार्बी आंगलोंग जिले के खटकती गांव में दृष्टिहीन बच्चों के लिए एक स्कूल के निर्माण में मदद कर रह रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में दृष्टिहीन विद्यालय भवन का निर्माण कर परियोजना के प्रथम चरण का क्रियान्वयन किया गया। इस वर्ष, भारतीय सेना ने परियोजना के दूसरे चरण के हिस्से के रूप में एक और इमारत का निर्माण किया है जो समग्र कार्यात्मकताओं को बढ़ाने की दिशा में अतिरिक्त कक्षाओं और प्रशासनिक व्यवस्था को पूरा करती है। भारतीय सेना, प्रशासन और स्थानीय लोगों की उपस्थिति में पूर्वी कार्बी आंगलोंग की डीसी मधुमिता भगवती ने इसका उद्घाटन किया।
इस अवसर पर आसपास के गांवों के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए। सभी ने स्कूल भवन के निर्माण के लिए भारतीय सेना की सराहना की। खटकरी गांव के गांव बुढ़ा बाबू बोंगोंग और यूनाइटेड इंटरनेशनल मिशन अध्यक्ष क्रिस्टोफर प्रिंस फर्नांडिस ने भारतीय सेना के प्रति आभार व्यक्त किया। इसके अलावा सेना द्वारा सीमाओं की रक्षा करने के साथ-साथ उपक्रम के कठिन कार्य के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की|