• October 14, 2024

भारत में आतंकवाद पर घिरने के बाद पाकिस्तान लौटकर क्या-क्या बोले बिलावल

 भारत में आतंकवाद पर घिरने के बाद पाकिस्तान लौटकर क्या-क्या बोले बिलावल

शंघाई सहयोग सम्मेलन (एससीओ) में हिस्सा लेने के लिए दो दिवसीय भारत दौरे पर आए बिलावल भुट्टो जरदारी समिट खत्म होते ही पाकिस्तान लौट गए। भारत में एससीओ सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे पर घिरने के बाद बिलावल ने पाकिस्तान की जमीं से इस कार्यक्रम को लेकर बयान भी जारी किया है। उन्होंने एससीओ बैठक को पाकिस्तान के लिए सफलता करार दिया है। हालांकि, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरफ से आतंकवाद के मुद्दे पर घेरे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने (जयशंकर ने) जो भी कहा वह उनकी मर्जी है।

क्या रहा बिलावल का पूरा बयान?
गौरतलब है कि एस. जयशंकर ने बिलावल के सामने ही कहा था कि वे एससीओ में आतंक की इंडस्ट्री का प्रवक्ता बन कर आए हैं। इसे लेकर पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा, “आतंकवाद से पीड़ित और इसे फैलाने वाले कभी साथ बैठकर आतंक पर चर्चा नहीं कर सकते। जो उन्होंने कहा, वह उनकी मर्जी। मैंने वहां अपना बयान दिया, प्रेस से भी बातचीत की। सबकुछ रिकॉर्ड पर है। वहां झूठे प्रोपेगैंडा की वजह से असुरक्षा का भाव है। यह प्रोपेगैंडा खत्म हो जाता है, जब मैंने वहां जाकर अपनी बात रखी। यह सिर्फ भारत के मुद्दे पर नहीं है, बल्कि उन सबके लिए है, जो पाकिस्तान का नाम आतंकवाद से जोड़ते हैं।”

उन्होंने इसके बाद सवाल पूछते हुए कहा, “आतंक पीड़ित और इसे फैलाने वालों को कभी साथ नहीं बैठना चाहिए। यह नफरत है। क्या मुझे कभी भी मेरे राजनीतिक इतिहास में गलती से भी एक आतंकी के साथ बैठे देखा गया है।”

एससीओ समिट में क्या बोले थे बिलावल?
आतंकवाद के मुद्दे पर बोलते हुए बिलावल ने कहा कि लोगों की सामूहिक सुरक्षा हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है। आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। हमें आतंकवाद को कूटनीतिक हथियार बनाकर राजनयिक तौर पर एक-दूसरे को घेरने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं केवल पाकिस्तान के विदेश मंत्री के रूप में ही नहीं बोल रहा हूं। हमारे लोगों ने हमलों में सबसे ज्यादा नुकसान उठाया। मैं उस बेटे के रूप में भी बोल रहा हूं, जिसकी मां की आतंकवादियों के हाथों हत्या कर दी गई थी।

जयशंकर ने क्या दिया इस पर जवाब
इसी के जवाब में जयशंकर ने कहा कि बिलावल का बयान काफी दिलचस्प है, क्योंकि इससे उन्होंने गलती से अपनी मानसिकता का खुलासा कर दिया है। किसी चीज को हथियार कब और कैसे बनाया जा सकता है? तभी जब कोई इस कार्य को एकदम वैध मान कर इसे कर रहा हो। आज कोई कह रहा है कि आप आतंकवाद को हथियार बना रहे हैं, तो साफ है कि उन्हें लगता है कि आतंकवाद वैध है और उसे हथियार नहीं बनाना चाहिए।

जयशंकर यहीं नहीं रुके। उन्होंने बिलावल के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा, “आतंकवाद के मुद्दे को हथियार न बनाने की बात पर आपका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि अगर मैं एक पीड़ित हूं, तो मुझे आतंकवाद को स्वीकार कर लेना चाहिए। ताकि न सिर्फ आप आतंकी गतिविधियों को अंजाम दें, बल्कि यह भी कहें कि इस बारे में कोई बोलने की सोचे भी न? तो बिलावल के इस वाक्य ने उनके देश की मानसिकता का खुलासा कर दिया है।”

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