• May 16, 2025

गांधी परिवार की ओर से दाखिल टैक्स निर्धारण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, जाने मामला

 गांधी परिवार की ओर से दाखिल टैक्स निर्धारण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, जाने मामला

दिल्ली उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य की ओर से दायर टैक्स निर्धारण से संबंधित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इन याचिकाओं में आयकर अधिकारियों के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत कर निर्धारण को फेसलेस मूल्यांकन से केंद्रीय सर्कल में स्थानांतरित किया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि स्थानांतरण कानून के अनुसार था।

याचकर्ताओं में इन चेरिटेबल ट्रस्टों का नाम 

हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने गुण-दोष के आधार पर मामले की जांच नहीं की। जिन चैरिटेबल ट्रस्टों की याचिकाएं खारिज की गई हैं, उनमें संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, जवाहर भवन ट्रस्ट, राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और यंग इंडियन शामिल हैं। पीठ ने कहा, ”पक्षकार उचित वैधानिक प्राधिकरण के समक्ष अपनी दलीलें रखने के लिए स्वतंत्र हैं।” अदालत ने यह भी कहा कि याचिकार्ताओं के टैक्स निर्धारण आकलन को समन्वित जांच के लिए सेंट्रल सर्कल में स्थानांतरित किया गया था और इसलिए आईटी अधिकारियों की ओर से पारित आदेशों को बरकरार रखा गया है।

कर निर्धारण वर्ष 2018-19 से संबंधित है मामला

अदालत ने कहा, ‘पूर्वगामी टिप्पणियों के मद्देनजर, लंबित आवेदनों के साथ रिट याचिकाओं को बिना किसी आदेश के खारिज किया जाता है। गांधी परिवार और चैरिटेबल ट्रस्टों ने प्रधान आयकर आयुक्त की ओर से जारी उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कर निर्धारण वर्ष 2018-19 के लिए उनके मामलों को सेंट्रल सर्किल में स्थानांतरित करने को कहा गया था।

गांधी परिवार ने अपना पक्ष रखते हुए ये कहा

गांधी परिवार ने अपनी याचिकाओं में प्रधान आयकर आयुक्त के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि हथियार डीलर संजय भदारी के मामले में ‘तलाशी और जब्ती’ के आधार पर उनका कर आकलन स्थानांतरित किया गया था, लेकिन उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। यह उनका तर्क था कि केवल दुर्लभतम मामले फेसलेस मूल्यांकन से बाहर किए जाते हैं। अगर अगर किसी संस्था को फेसलेस मूल्यांकन से बाहर किया भी जाता है तब भी उन्हें संबंधित मूल्यांकन अधिकारी को चिह्नित किया जाता है, न कि केंद्रीय सर्कल को। वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने गांधी परिवार की ओर से दलील दी कि फेसलेस मूल्यांकन मानव संपर्क और अस्वास्थ्यकर अभ्यास की गुंजाइश से बचाता है।

आप की ओर से अदालत में कहा गया- आयकर विभाग का फैसला मनमाना और तर्कहीन

इस बीच, आप ने कहा कि आयकर विभाग का फैसला मनमाना और तर्कहीन है और यह आदेश वैधानिक प्रावधानों का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कोई जांच लंबित नहीं है और इसलिए, उनके आकलन को स्थानांतरित करने का कोई कारण नहीं है। वहीं, आयकर विभाग ने कहा कि इन सभी मामलों में स्थानांतरण शहर के भीतर हुआ और जब स्थानांतरण एक शहर से दूसरे शहर में होता है, तभी आईटी अधिकारी को करदाता की बात सुननी होती है। उन्होंने आगे कहा कि भले ही फेसलेस आकलन अस्तित्व में आ गया है, लेकिन यह आयकर अधिनियम की धारा 127 के तहत उपलब्ध हस्तांतरण की शक्तियों को शिथिल नहीं करता है।

इन अधिवक्ताओं ने अदालत के सामने रखा अपना-अपना पक्ष

गांधी परिवार और पांच चैरिटेबल ट्रस्टों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार, अधिवक्ता कविता झा, वैभव कुलकर्णी और अनंत मान पेश हुए। आप का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अमर दवे, विवेक जैन और अभिनव जैन ने किया। आयकर विभाग की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह और वरिष्ठ स्थायी वकील जोहेब हुसैन के साथ वकील विपुल अग्रवाल, संजीव मेनन, प्रसन्नजीत महापात्रा, श्याम गोपाल, विवेक गुरनानी और मोनिका बेंजिमिन पेश हुए।

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