भाजपा के वोट बढ़े… पर नहीं चला मुस्लिम दांव, सपा को लाभ, कांग्रेस को नुकसान; BSP को भी झटका

करीब डेढ़ माह चली नगर निगम चुनाव प्रक्रिया में दावे-प्रतिदावे तो खूब हुए लेकिन अब परिणाम आने के बाद हकीकत सामने आ चुकी है। राजनीतिक दल नफा-नुकसान के आकलन में जुटे हैं। कांग्रेस और बसपा जैसे दलों के सामने तो अस्तित्व बचाने का संकट सामने आ खड़ा हुआ है, जबकि भाजपा और सपा फायदे के बावजूद लक्ष्य हासिल न कर पाने के कारणों को तलाश रहे हैं।
इस नगर निगम चुनाव में भाजपा अपना वोट बैंक तकरीबन छह फीसदी बढ़ा पाने में कामयाब हुई है, जबकि सपा का वोट बैंक लगभग दोगुना हो गया है। सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को लगा है, जिसने पांच साल के अंदर अपने 66 फीसदी से अधिक वोट गंवा दिए।
पिछले चुनावों में पार्षदों की संख्या और वोट प्रतिशत के लिहाज से दूसरे नंबर पर रहने वाली यह पार्टी इस बार खिसककर तीसरे नंबर पर आ गई है। बसपा का हाल भी बुरा है। उसका एक भी प्रत्याशी पार्षद नहीं बन सका है। पांच साल में करीब 40 फीसदी वोट बसपा ने गंवा दिए हैं।
भाजपा: दस मुस्लिम प्रत्याशी जुटा सके सिर्फ 4192 वोट
42.09 प्रतिशत वोट मिले थे 2017 में
48.0 प्रतिशत वोट मिले हैं 2023 में
नगर निगम चुनाव में भाजपा को लगातार दूसरी बार स्पष्ट बहुमत मिला है। पिछली बार कमल के भरोसे चुनाव जीतकर 58 पार्षद जीतकर सदन पहुंचे थे। इस बार 63 ने जीत दर्ज की है। हालांकि भाजपा ने इस चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशी को उतारने का नया प्रयोग किया था जो फेल हो गया। भाजपा के 10 मुस्लिम उम्मीदवारों को कुल 4192 वोट ही मिल पाए।