• May 20, 2024

‘NATO प्लस का हिस्सा बने भारत’: अमेरिकी समिति की बाइडन सरकार से मांग- चीन को टक्कर देने के लिए यह जरूरी

 ‘NATO प्लस का हिस्सा बने भारत’: अमेरिकी समिति की बाइडन सरकार से मांग- चीन को टक्कर देने के लिए यह जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं। इस बीच, अमेरिका की एक कांग्रेस समिति ने बाइडन सरकार से भारत को नाटो प्लस का हिस्सा बनाने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि भारत के शामिल होने से नाटो प्लस को मजबूती मिलेगी। बता दें, नाटो प्लस एक सुरक्षा व्यवस्था है, जो वैश्विक रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। इसमें पांच देशों के बीच गठबंधन है। ये देश ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजरायल और दक्षिण कोरिया हैं।

छठा सदस्य बनाने की सिफारिश
बताया जा रहा है कि अगर नाटो प्लस का छठा हिस्सा भारत को बनाया जाता है, तो इन देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने में सुविधा होगी। साथ ही अगर भारत को नाटो प्लस में शामिल किया जाता है तो देश को अमेरिका के साथ रक्षा-सुरक्षा से आसानी से जोड़ा जा सकेगा।

ताइवान की सुरक्षा के लिए जरूरी
संयुक्त राज्य अमेरिका और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के बीच सामरिक प्रतिस्पर्धा पर सदन की चयन समिति के अध्यक्ष माइक गैलाघेर और रैंकिंग सदस्य राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में, नाटो प्लस को मजबूत बनाने के लिए भारत को शामिल करने सहित ताइवान की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक नीति प्रस्ताव को रखा गया। सदन की चयन समिति ने सिफारिश करते हुए कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा जीतना और ताइवान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है।

इसलिए समिति का नाम…
समिति ने कहा कि अगर नाटो प्लस का हिस्सा भारत को बनाया जाता है तो वैश्विक सुरक्षा को मजबूत मिलने के साथ ही भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए अमेरिका और भारत की करीबी साझेदारी बढ़ेगी। बता दें, रिपब्लिकन नेतृत्व की पहल के बाद चयन समिति को लोकप्रिय रूप से चीन समिति कहा जाता है।

छह वर्षों से प्रस्ताव पर काम

 

पिछले छह वर्षों से इस प्रस्ताव पर काम कर रहे भारतीय-अमेरिकी रमेश कपूर ने उम्मीद जताई कि सिफारिश को राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम 2024 में जगह मिलेगी और अंत में देश का कानून बन जाएगा। उन्होंने कहा कि समिति में इस प्रस्ताव पर बात होना ही विकास की ओर बढ़ता एक कदम है।

चीन को कमजोर बनाने के लिए अहम

चीन समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि ताइवान पर हमले के मामले में चीन के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध सबसे प्रभावी होंगे यदि प्रमुख सहयोगी जैसे जी-7, नाटो, नाटो प्लस और क्वाड सदस्य एकजुट हो जाएं। अगर ये सभी सहयोगी देश एक संयुक्त प्रतिक्रिया पर बातचीत करेंगे तो चीन को कमजोर किया जा सकता है।

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published.