• May 5, 2024

गाजियाबाद

सुसाइड कर रहा था युवक, फेसबुक अलर्ट ने बचाया:अमेरिका से कंपनी हेडक्वार्टर ने मैसेज भेजा, मोबाइल लोकेशन से 13 मिनट में पहुंची पुलिस

 

 

अभय शुक्ला ने फांसी का फंदा बना लिया था, वह इंस्टाग्राम पर पूरा घटनाक्रम लाइव दिखा रहा था।

गाजियाबाद में एक फेसबुक अलर्ट ने युवक की जान बचा ली। यहां अभय शुक्ला नाम का युवक इंस्टाग्राम लाइव में सुसाइड करने की तैयारी कर रहा था। अमेरिका के कैलिफोर्निया में फेसबुक और इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी मेटा हेडक्वार्टर में जैसे ही उसका वीडियो दिखाई दिया, टीम ने UP पुलिस को अलर्ट भेजा। मोबाइल लोकेशन ट्रैक कर पुलिस ने युवक को बचा लिया।

 

 

पूरे मामले में खास बात यह है कि अलर्ट भेजने से लेकर पुलिस के पहुंचने में महज 13 मिनट का समय लगा। करीब 6 घंटे तक काउंसिलिंग करने और परिवार के पहुंचने के बाद ही पुलिस वापस लौटी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने मेटा कंपनी से पिछले साल मार्च में यह करार किया था कि फेसबुक या इंस्टाग्राम पर किसी व्यक्ति की आत्महत्या संबंधित पोस्ट दिखे, तो तुरंत पुलिस को अलर्ट किया जाए।

 

अभय शुक्ला ने सुसाइड करने के लिए कमरे के सीलिंग फैन में फंदा लगाया था, इसे देखने के बाद मेटा ने पुलिस को अलर्ट भेजा था।

 

अभय शुक्ला ने सुसाइड करने के लिए कमरे के सीलिंग फैन में फंदा लगाया था, इसे देखने के बाद मेटा ने पुलिस को अलर्ट भेजा था।

रात 10 बजे LIVE सुसाइड की कोशिश की

मंगलवार रात 9.57 बजे अभय शुक्ला इंस्टाग्राम पर लाइव आकर फांसी का फंदा बनाने लगा। वीडियो देखकर इंस्टाग्राम-फेसबुक के हेडक्वार्टर ने उत्तर प्रदेश पुलिस के सोशल मीडिया सेंटर को ईमेल अलर्ट भेजा। इस ईमेल में अभय का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर भी लिखा हुआ था। पुलिस ने तुरंत नंबर को सर्विलांस पर लिया, तो लोकेशन गाजियाबाद की निकली।

 

सोशल मीडिया ने यह अलर्ट गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट को ट्रांसफर किया। वहां से विजयनगर थाना पुलिस को मैसेज दिया गया। इसके बाद पुलिस ने अभय को फांसी लगाने से पहले ही बचा लिया। अमेरिका से गाजियाबाद तक मैसेज के बाद पुलिस पहुंचने तक के प्रोसेस में महज 13 मिनट ही लगे। इसी वजह से युवक की जान बच पाई।

 

अभय इस कुर्सी पर खड़े होकर फांसी लगाने की तैयारी में था, उसके लैपटॉप पर इंस्टाग्राम लाइव था।

 

अभय इस कुर्सी पर खड़े होकर फांसी लगाने की तैयारी में था, उसके लैपटॉप पर इंस्टाग्राम लाइव था।

काम में घाटा हुआ, बहन की शादी के पैसे डूबे

अभय शुक्ला (23) कन्नौज का रहने वाला है। अभी वह गाजियाबाद के विजयनगर एस ब्लॉक में रहता है। वह गुरुग्राम की कैशिफाई कंपनी में जॉब करता था, जो पुराने मोबाइल सेल-परचेज का काम करती है। अभय डीलरों से पुराने फोन लेकर कंपनी को देता था। कंपनी फोन ठीक करके मार्केट में अच्छे रेट पर बेच देती थी। अभय को हर मोबाइल पर 20% कमीशन मिलता था।

 

अभय को इसमें फायदा हुआ, तो कुछ महीने जॉब छोड़कर वह निजी तौर पर यह काम करने लगा, लेकिन कुछ समय बाद अभय को काम में नुकसान होने लगा। इसकी भरपाई के लिए उसने अपनी मां से 90 हजार रुपए उधार लिए। मां ने यह रकम अभय की बहन की शादी के लिए रखी हुई थी। जब यह रकम भी डूब गई तो अभय निराश हो गया और आत्महत्या करने पहुंच गया।

 

 

ये तस्वीर विजयनगर थाने की इंस्पेक्टर अनीता चौहान की है। इन्होंने ही अभय की जान बचाई।

 

अलर्ट से लेकर रेस्क्यू तक की कहानी, विजयनगर थाने की SHO अनीता चौहान की जुबानी …

 

‘मैंने जब अभय के मोबाइल पर फोन किया तो करीब सात बार कॉल कटी। आठवीं बार में मेरी कॉल रिसीव हुई। बस मैंने यही कहा- बेटा मेरी बात सुनो। वो बार-बार रो रहा था। मैंने उसको समझाया। पानी पीने के लिए कहा। फिर उसने पानी पिया और रोते हुए धीरे-धीरे मुझसे बात करने लगा। मैंने उसे आश्वस्त किया कि वो बस बात करता रहे। मैंने उससे ये भी कहा कि न तो मैं वहां आ रही और न ही पुलिस भेज रही हूं, लेकिन वो फोन न काटे और सिर्फ बात करता रहे।

 

मेरे सामने दिक्कत ये आ रही थी कि हम पर उसके घर का सही एड्रेस नहीं था। पुलिस मुख्यालय से जो लोकेशन भेजी गई थी, उसमें 15-20 मीटर का एरिया दिख रहा था। आखिरकार मैंने बातों में उलझाकर उससे मकान नंबर पूछ लिया। चूंकि मैं पुलिस टीम के साथ घर के आसपास ही घूम रही थी तो पलभर में उसके घर के अंदर पहुंच गई। वो कमरे के अंदर बंद था।

 

मैंने गेट खटखटाया तो उसको आभास नहीं था कि पुलिस वहां पहुंच चुकी है, क्योंकि मैं अभय से फोन पर लगातार बात कर रही थी। जैसे ही गेट खुला, हमने उसको पकड़ लिया और थाने पर ले आए। थाने पर हमने करीब छह घंटे तक उसकी काउंसिलिंग की।

 

उसको समझाया कि आत्महत्या करने से कुछ नहीं होता। यदि इंसान जिंदा है तो नुकसान की भरपाई भी कर लेगा। उसे ये भी बताया कि अगर वो नहीं बचेगा तो बहन की शादी कैसे हो पाएगी। आखिरकार हमारी काउंसिलिंग का असर हुआ और उसने अपनी गलती मानी।

 

उसने हमें ये भरोसा भी दिया है कि आइंदा वो ऐसा कदम नहीं उठाएगा। इसके बाद हमने अभय को उसके परिजनों की सुपुर्दगी में दे दिया।’

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